What needs to change : Indian Education System and Employment
Indian Education System याने भारतीय शिक्षण प्रणाली के आधार क्या है. इस बारे में हम आज चर्चा करेंगे. आज से लगभग १५० वर्षो पहले भारतीय शिक्षा प्रणाली का लोहा सम्पूर्ण विश्व मानता था. पुरे विश्व से लोग नालंदा विश्वविध्यालय में ज्ञानार्जन करने आया करते थे.
इसके प्रमाण हमें विश्व इतिहास में मिलते है. जो की अपने आप में प्रमाण है की भारतीय शिक्षा प्रणाली अपने आप में कितनी महान थी. परन्तु कालांतर में हमारे देश में विदेशी आक्रमणकरियो का प्रभाव रहा. उसके बाद अग्रेजो की गुलामी में हमारा देश चला गया. इस प्रकार आज हमारे द्वारा जो शिक्षण प्रणाली अपनाई जा रही है. वो भारतीय शिक्षण प्रणाली है ही नहीं. वो तो पाश्चात्य शिक्षण प्रणाली का अनुकरण है. जो अग्रेजी हुकूमत ने हमारे गुलाम देश के लिए बनायीं थी. उसके बाद भी हमारे देश में उसी शिक्षा प्रणाली को अपनाया गया. और आज भी अपनाया जा रहा है.
हमारी शिक्षण प्रणालियों के बारे में अध्यन करने पर हमें कुछ बाते दिखी जो आज के वर्तमान परिदृश्य में बहुत ही चिंता का विषय है. इसमें जो दोष हमें Employment याने रोजगार को लेकर दिखाई दिये है. उन सभी पर इस पोस्ट में चर्चा करना अनिवार्य है. वैसे ही उसके कुछ उपाय भी देना हमारे लिए अनिवार्य है.
इस बात की आवश्यकता क्यों पड़ी की, हमें शिक्षा प्रणाली को ठीक करना पद सकता है. क्योकि यदि कोई विद्यार्थी अपने जीवन के २२ वर्ष अपनी शिक्षा को देने के बाद भी अपने लिए एक रोजगार या कोई नौकरी हासिल नहीं कर पता है तो ऐसे शिक्षा प्रणाली को हमें क्यों अपने गले से लगाकर रखना चाहिए.
इस बात पर विचार करना अनिवार्य है. ऐसे ही कुछ मुद्दों के माध्यम से हम अपने चर्चा को आगे बढ़ाते है. उसके साथ ही Education System and Employment इस बात पर अंतिम निष्कर्ष देना ठीक होगा.
1. शिक्षा कला-कौशल आधारित हो
Indian Education System में सबसे बड़ी कमजोरी ये है की, इसमें शिक्षा कला कौशल पर आधारित न होकर Students को वही पुराने पाठ्यक्रमो को पढ़ा पढ़ा कर विद्यार्थियों को अंधकार में रखा जा रहा है. जबकि आज की शिक्षा कला-कौशल आधारित होनी चाहिए.
जिसमे विद्यार्थियों को नयी-नयी कला और कौशल पर आधारित जानकारिया उन्हें बतानी चाहिए. आज भी बच्चो को वही भूगोल और इतिहास पठाया जा रहा है. जो भूगोल भारत हा है जो तो काफी बदल चूका है. हवामान बदल चूका है. फिर भी उन्हें वही नील बटे सन्नाटा किया जा रहा है. हा हम ये मानते है की, विद्यार्थियो को अपने इतिहास और भूगोल की जानकारी होनी चाहिए.
परन्तु इन पारंपरिक जानकारी के साथ-साथ कुछ अन्य चीजे भी वर्तमान Technological Knowledge ही उन्हें देना चाहिए.
2. मूल सोच, नवाचार, अनुसंधान और रचनात्मकता को बढाया जाये
इस मुद्दे में जो हम बताने वाले है आपको इसे पढ़ कर थोडा तो अंदाज हो ही गया होगा. हम बात कर रहे है बच्चो में जागने वाले उनके original thinking याने मूल सोच की जो उन्हें उनके पढाई के दिनों में ही देना जरुरी है.
आज स्कूलों में किताब ज्ञान अर्थात रटारटाया ज्ञान बताया जा रहा है. जिसमे बच्चो में कुछ उनके research and innovation कुछ नया खोजने की इच्छा की जागृत नहीं होती है. उनकी अनुसंधान और रचनात्मकता को बढाना भी हमारे शिक्षण प्रणाली की ही जिम्मेदारी है.
जिसको निभाने में वो असमर्थ है. यही करना है की हमारी शिक्षण प्रणाली में ये एक बदलाव लाना जरुरी है. जिसमे की इसमें Reward creativity अर्थात रचनात्मकता को बढ़ाना भी आवश्यक है.
3. शिक्षक स्वय रचनात्मक बने और सीखे
आज के शिक्षको को भी अपने आप में रचनात्मकता लाने की आवश्यकता है. जिससे की की जब उनके अन्दर कुछ रचनात्मकता का संचार हो जायेगा. तब ही जो बच्चो में ऐसी Skills को विकसित कर पाएंगे. ये किसी भी शिक्षा प्रणाली का मुख्य गुण माना जाता है. क्योकि किसी भी Education System की नीव उनके शिक्षक ही होते है.
4. शिक्षा सभी के लिए खुली हो
भारत में सबसे बड़ी कमजोरी यही है की सभी अगल-अलग बाते हुए है. वैसे ही शिक्षा भी बटी हुयी नजर आती है. जबकि शिक्षा तो सभी के लिए सामान और आवश्यक होनी चाहिए. परन्तु हमारे देश में शिक्षा को भी बाँट दिया गया है.
इसका पैमाना क्या है शिक्षण संस्थाओ की मोटी और तगड़ी फ़ीस जिसको भरने वाला उच्च शिक्षा लेता है. जो उस फ़ीस को भर पाये वो निचले दर्जे की शिक्षा लेता है.
ये खेल यही नहीं रुकता है. आगे ये प्रसंग उस विद्यार्थी के सामने अनेक बार उत्पन्न होता है. ऐसे में बहुत सी प्रतिभाये अन्दर ही घुटकर मर जाया करती है. ऐसी प्रतिभाओ को अवसर की समानता वालो ये Indian Education System कि दीवारे रोक लेती है. ये बदलना जरुरी है.
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5. शिक्षा के लिए प्रोद्योगिक ढाचा लागु किया जाये
एक शिक्षण प्रणाली अपने आप में तभी टिकी रह सकती है. जब उसका अपना कोई प्रोद्योगिक ढाचा हो. भारत में कोई भी एक ढांचे को नहीं अपनाया गया है. जैसे की भारत में सभी राज्यों में भिन्न ही शिक्षण का ढांचा अपनाया जाता है.
ऐसे में जब सम्पूर्ण देश के विद्यार्थियो को एक जगह पर जोड़ने की बात होती है. तब उनमे बहुतसी विश्वस्तु में मतभेद होते है. यही बात हमारी Education System में बदलाव लाकर उसके स्थान पर एकीकृत शिक्षा प्रणाली को लाने की जरुरत है.
6. शिक्षण प्रणाली फिर से परिभाषित किया जाये
भारतीय शिक्षण प्रणाली को फिर से परिभाषित करने की अत्यंत आवश्यकता है. वर्तमान समय में इस बात में समझने की जरुरत ज्यादा है की हमारी प्रणाली को फिर से परिभाषित करके उसमे बदलाव लाना ये समय की मांग है.
7. सरकार से अलग सभी ने इसमें रूचि ली जाये
किसी भी कार्य को करने के लिए सरकार ही पूरी जिम्मेदारी ले ये जरुरी भी नहीं है. इसके लिए जनता को भी सामने आकर उस कार्य में रूचि लेनी आवश्यक होती है. ठीक उसीप्रकार शिक्षा प्रणाली में जो बदलाव आवश्यक है.
उनके लिए बच्चो के अभिभावकों के द्वारा भी कुछ न कुछ जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इसके लिए सरकार तक हर माध्यम से सूचनाये पहचानी चाहिए.
8. एक ही विचार की और आकार का शिक्षण सभी के लिए उचित नहीं
इसमें एक और बदलाव होना समय की जरुरत है. जैसे सभी के लिए एक ही प्रकार का भोजन बनाकर उन्हें खुश करना आसन नहीं है. उसी प्रकार सभी के लिए एक ही विचार की और आकार की शिक्षा देकर उनका एक जैसा विकास कर पाना संभव नहीं है. जिस प्रकार से जिसकी रूचि हो उसी प्रकार का शिक्षण उसे बचपन से मिलना चाहिए.
9. शिक्षण क्ष्रेत्र में निजी पैसा लगाने की आज्ञा हो
शिक्षण के विषय में एक बात ये भी कहनी जरुरी है. जैसे किसी भी सरकारी जगह और प्राइवेट जगह या व्यवसाय में फर्क होता है. उनके अनुशाशन में फर्क होता है. ठीक वैसे ही शिक्षण में भी निजी पैसा लगाने की आज्ञा सरकार ने देनी चाहिए. जिससे की निजी पैसा लगाकर उसका स्तर सुधारा जा सके.
10. आरक्षण और भारतीय शिक्षा प्रणाली
हमें यह कहते हुए कोई भी हर्ज नहीं है की आरक्षण ये भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक जहर का काम कर रहा है. और ये एक जैसा जहर है जिसका असर धीरे-धीरे होता है.
इसके दूरगामी परिणाम हमें देखने को मिलेंगे और मिल रहे है. आरक्षण जिस स्तर तक होना चाहिए, उस स्तर को लांग कर अपनी चरमसीमा पर पहुच चूका है. आरक्षण हमारी Education System को खोखला बनाते जा रहा है.
हमें इस आरक्षण की व्याख्या को फिर से परिभाषित करने की जरुरत है. हमारे देश में आरक्षण जाती के आधार पर दिया जा रहा है न की उनकी योग्यता के आधार पर. जातीगत आरक्षण देने की वजह से जो व्यक्ति अगर किसी शिक्षा या नौकरी के लायक भी हो.
परन्तु वो उस जाती न हो जिस जाती की सिट अरक्षित हो ऐसे समय में ये एक भेदभाव को जन्म देता है. इसी करना हमें ऐसे भेदभाव भरे शिक्षा प्रणाली को बदलना चाहिए.
हमारी मुख्य मुद्दे Indian Education System and Employment की चर्चा करने के पहले भारतीय शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव को लेकर हमारे सुझाव दिए गये है. जिनको लेकर आप और हम सभी गंभीरता से आगे आएंगे हमें ऐसी आशा है. आगे प्रणाली और रोजगार से जुड़े बातों को हम देखेंगे.
Indian Education System and Employment
इस बारे में यही कहा जा सकता है, की एक व्यक्ति इस प्रणाली एक आधार पर पढाई पूरी करने के लिए अपने जीवन के कुल मिलकर २३ साल लगाने के बाद अपनी आजीविका नहीं कमा पता है. तो इसके सिवा इस Education System की हार नहीं हो सकती है.
क्योकि ये प्रणाली कार्यमुलकता पर ध्यान न देकर अपनी पुरानी प्रणाली पर ही कार्य कर रही है. जिससे की विद्यार्थी का सर्वांगीं विकास नहीं हो पाता है. ऐसा नहीं होने के कारण वह अपनी पढाई ख़त्म होने के बाद जॉब के लिए भटकता रहता है.
यही कारण है की Employment की कसोटी पर Present Indian Education System अपनी उपयोगिता सिद्ध करने में असमर्थ दिखाई देता है.
Conclusion :-
What needs to change : Indian Education System and Employment इस संज्ञा पर विचार और विश्लेषण करने के बाद एक निष्कर्ष निकलकर आता है की, भारतीय शिक्षा प्रणाली रोजगार के अवसर को निर्माण करने के पर एक निष्फल व कम लाभकारी सिद्ध होती है. इस कार्य को सिद्ध करने के लिए उसमे कुछ सुधारों की आवश्यकता है. जिनके माध्यम से ये Indian Education System अपने आप को जरुर की बदलेगा और जल्द की एक सफल और कारगर प्रणाली बनकर उभरेगा. धन्यवाद..